क्या मड़ीखेड़ा पाइप लाईन से अबैद्ध पानी चुराने के सिर्फ़ सात ही चोर...? और जो सरकारी उनका क्या..?
ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि, ऊंट की चोरी न्यौरे -न्यौरे...।
पर क्या ऐसा संभव है..?? नहीं..। हमारी नज़र में तो शायद नहीं..!
फिर यह तो इतना बड़ा ऊंट है कि मड़ीखेड़ा डैम से वाया सतनवाड़ा होते हुए, शिवपुरी तक पहुंचा है। फिर इतने बड़े ऊंट की चोरी गांव के किसान, फार्म संचालक और होटल माफिया तब कैसे कर सकते हैं?? जबकि इस ऊंट यानि मड़ीखेड़ा पानी सप्लाई लाइन को प्राइवेट और सरकारी दोनों सुरक्षा मिली हुई हैं। इधर ओम कंस्ट्रक्शन कंपनी अपनी निजी सुरक्षा गार्डों के साथ इस ऊंट पर प्रतिदिन अपना पहरा लगाए हुए है,वहीं सरकारी मुलाजिम भी इसके सुरक्षित रहने और सही रख-रखाव की रिपोर्ट अपने आला आदिकारियों को प्रतिदिन भेज रहे है।
कि हमारे द्वारा बराबर इसको चैक (प्रत्येक वाल्ब पर जाकर पानी का प्रेशर चेक करना)किया जा रहा है। और कोई एक वाल्व नहीं है, जिससे पूरी लाइन का पता न चल सके,बल्कि 200 से अधिक वाल्व जैसा कि, शिवपुरी नगरपालिका अध्यक्ष ने मणिखेड़ा डैम पर अपने औचक निरीक्षण के दौरान पाया। और सबसे बड़ी बात तो यह हैकि, सभी कनेक्शन वॉल्व पर ही होते हैं,डायरेक्ट कुछ नहीं होता है।
फिर भी आपको यह नहीं दिखता हैकि, मड़ीखेड़ा लाइन से पानी की चोरी हो रही है! जबकि नगरपालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा को एक ही दिन में आपके द्वारा कराई गई चोरी के बारे में पता चल जाता है। आपके आला अधिकारी हमारे शिवपुरी सीएमओ केशव सगर भी कभी- कभार दौरे पर जाते ही रहते हैं, पर आप लोगों को पता नहीं चलता हैकि, पानी की चोरी की जा रही है! तो क्या आप इतने दिनों से मड़ीखेड़ा, सतनवाडा प्लांट पर एंजॉय करने जाते थे..!! या चोरों को प्रोटेक्शन देने..?? क्या चोरों का गैंग बन चुका था, या फिर चोर इतने पावरफुल थेकि सरकार गिरा सकते थे..? आपको ये ज्ञात नहीं कि चोर-चोर होता वह तो टुट पुंजिया होता है। फिर इस केस में सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई..?
दरअसल इस केस में केवल उन सात लोगों पर ही FIR हुई है, जिन्होंने चोरी की और जो प्रथम दृष्ट्या चोरी करते पाए गए..। इनके अलावा और भाई हैं उनका क्या?? चलिए छोड़िए। पर जिन्होंने चोरी करवाई ,उनको क्या ईनाम दोगे..? अरे भाई वो चोर के पार्टनर हैं। (चोर-चोर खास भाई हैं ,बस फ़र्क इतना हैकि, कुछ चोर कुछ सिपाही हैं।)
प्रशासन से मेरा यक्ष प्रश्न हैकि..
सरकारी चोरों को दोगे दान... या इन पर भी कार्रवाई करके करोगे जन कल्याण...?
वरना कोई पानी प्रताड़ित कोर्ट चला गया तो होगे बेजा परेशान..। क्योंकि मामला बन चुका है, और मामला रेंडम भी नहीं हैकि, आज काल में ही हुआ हो, तब कोई आम नागरिक कोर्ट में पूरे प्रशासन को चैलेंज कर सकता है। अच्छे से सोचो क्योंकि, विषय:- चिंता और चिंतन दोनों का..।
लेखक:-वीरेन्द्र "चर्चित" mob.9977887813
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