जो बात जि़म्मेदार कह रहे हैं, वही कागजों पर बता रहे हैं। तो फिर कौन है यह विभीषण?? जो जनता को गलत राग सुना रहे हैं।
नगर पालिका शिवपुरी में तीन तालाबों की सफाई और रखरखाव पर हुए भुगतान संबंधी गलत रूमर को लेकर के वर्तमान सीएमओ केशव सगर एवं नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा ने सामूहिक रूप से प्रेस वार्ता में बताया तालाबों का वास्तविक स्टेटस।
चर्चित समाचार शिवपुरी। भुजरिया तालाब की साफ़ सफ़ाई में कितना खर्च और बाकी के दो(जाधव सागर और मनियर ) तालाब में खर्च को लेकर के संशय की स्थिति बनी हुई है, कुछ लोगों के फेसबुक वॉल को आधार माने तो भुजरिया तालाब पर ही एक करोड़ पैंतीस लाख रुपए खर्च हो चुके हैं साथ ही उन्हीं का यह कहना भी है कि, यह तालाब जन सहयोग से साफ कराया गया है।
जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल इतर है, चूँकि कुछ जन सहयोगियों एवम समाजसेवी कार्यकर्ताओं ने और अखबार संस्थाओं ने भुजरिया तालाब के संरक्षण को लेकर के आवाज बुलंद तो की थी और लगातार मॉनिटरिंग को जाते भी रहे। पर इस बात को प्रमुखता से कलेक्टर शिवपुरी और नगर पालिका के जिम्मेदारों ने लिया। उसके बाद चला साफ सफाई का अभियान,जिसमें तालाब में उपस्थित जलकुंभी एवं गंदगी को हटाने के लिए नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारियों ने कलेक्टर शिवपुरी रविंद्र चौधरी के मार्गदर्शन एवं एसडीएम शिवपुरी और तहसीलदार की सतत निगरानी में इस जनोपयोगी कार्य को अंजाम दिया।
यह बात सही है कि, जनसहयोग से भुजरिया तालाब में 8 से 10 डंपर और जेसीबी काम पर लगी थीं जिसमें डीजल पर आने वाला खर्च नगर पालिका द्वारा उठाया गया था,साथ ही साथ तालाब में उतर कर जलकुंभी को साफ करने के लिए 10 से 15 मजदूर लगे थे, जिनका भी मानदेय नगर पालिका शिवपुरी द्वारा दिया गया। 10 से 15 दिन के बाद जलकुंभी को तालाब से निकालकर पॉल के किनारे रख कर सभी वाहन चले गए, तब नगर पालिका ने अपने बाहनों एवं मजदूरों से उस जलकुंभी रूपी कचरे को वहां से उठाकर अन्यत्र स्थान पर पहुंचाया,जिसका खर्चा स्वयं नगर पालिका ने बहन किया।साथ-साथ पॉल को चारों ओर से बनाना और उसमें से पानी निकासी के लिए मोटर आदि कार्य के लिए नगर पालिका ने अपने संसाधनों का इस्तेमाल किया।
इन सब कार्यों के बाद भुजरिया तालाब में जलकुंभी को निकालना एवं झील संरक्षण में कुल खर्च जो आया वह लगभग 10 से 12 लाख रुपए बनता है। जिसका अभी तक किसी को भी भुगतान नहीं किया गया है।
जाधव सागर और मनिहर तालाब पर यह बोल सीएमओ।
इसके अतिरिक्त अन्य दो अन्य तालाब जिनमें सी एक जाधव सागर तालाब और दूसरा मनिहर तालाब, उनकी स्थिति यह हैकि,उसमें अभी तक एक रूपए भी खर्च नहीं हुआ है। यह बात सही हैकि, जाधव सागर तालाब को जलकुंभी मुक्त करने, कचरा निकालना एवं संरक्षित करने के लिए राज्य शासन से नगर पालिका शिवपुरी की ओर से एक निश्चित बजट का एस्टीमेट भेजा गया था जिसमें तालाब में होने वाले कार्यों को लेकर वर्गीकरण था।..तालाब की पार बनाना... गहरीकरण, टीचिंग वर्क एवं 500 मीटर नाले को बनाने का कार्य उल्लिखित था। शासन की ओर से तालाब के गहरीकरण पर होने वाले 60 लाख रुपए की खर्च को मनाई करते हुए लगभग 1 करोड़ 32 लाख रुपए सेंक्शन किए गए,जिसके आधार पर एक डीपीआर तैयार की गई।
और रही बात जाधव सागर तालाब में कार्य की तो नगरपालिका शिवपुरी द्वारा ठेकेदार को मात्र चार दिन पहले ही कार्य आदेश दिया गया है।जब कार्य आदेश अभी दिया गया है तो, पेमेंट का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। हां बरसात शुरू हो रही थी बरसात शुरू होने से पहले अगर उसका गहरीकरण और साफ सफाई हो जाता है तो ज्यादा बेहतर था। इस चीज को देखते हुए मौखिक तौर पर नगर पालिका शिवपुरी ने तालाब में पानी भरने से पहले संबंधित ठेकेदार को साफ सफाई करने के लिए मौखिक आदेश दे दिया था।
मनियर तालाब पर यह बोले सीएमओ।
दोनों तालाबों की जानकारी देते हुए सीएमओ नगर पालिका शिवपुरी के एस सगर ने मनिहर तालाब पर होने वाले खर्च की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि इस तालाब पर कार्य हेतु खर्च होने के लिए एस्टीमेट तैयार किया गया था, जिसकी राशि लगभग 5 करोड़ थी ।जिसमें तालाब का गहरीकरण तालाब की पिचिंग आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यकरण, पेवर ब्लाक,हाई मास्क लाइट, रोड़, पार्किंग और आस-पास के एरिया को एक सब स्टेशन की तरह डेवलप करना था। और यह कोई ऐसा खर्चा नहीं जो सिर्फ़ कागज पर लिखकर बताया गया हो, चूंकि इस तरह के कामों में होने वाले खर्च की एक- एक ईंट की काउंटिंग करने के बाद ही एक एस्टीमेट तैयार किया जाता है
राशि सेक्शन के बाद इसकी डीपीआर और कार्य आदेश दिए जाते हैं, चूंकि उसके लिए राशि आई ही नहीं है तो काम रुका हुआ पड़ा है।
तालाबों को लेकर अगर कोई गड़बड़ झाला लग रहा है तो स्वयं सत्यापन करें- गायत्री शर्मा
हमारा यह मानना है जिसको भी यह लगता है की नगर पालिका शिवपुरी में किसी भी कार्यों में गड़बड़झाला हो रहा है, या कार्य संतोष जनक नहीं हुआ है, या हुआ ही नहीं है,सिर्फ कागजों में दिखाया गया है। तो उन लोगों से हमारा अनुरोध है कि, वह किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले नगरपालिका सीएमओ और अध्यक्ष दोनों को वस्तुस्तिथि के बारे में बताएं, प्रकरण से सम्बन्धित जो भी जानकारी होगी हमारे द्वारा आपको सही-सही प्रदाय की जाएगी। और इसके बाद भी लगता है कि, कहीं कुछ ठीक नहीं है तो वह संबंधित स्थान पर जाकर के भौतिक सत्यापन करें और हमें बताएं कि, वाकई में हम जो बोल रहे हैं वह सच है या आपने जो सत्यापन किया वह कुछ और है।
रही बात असंतुष्टों की, तो मेरी उनको सिर्फ एक ही गुजारिश है कि, आप एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं जो भी बात सोशल मीडिया या अन्य प्लेटफार्म से लिखते हैं, पहले उनका खुद सत्यापन कर लिया कीजिए, क्योंकि आमजन आपसे हृदय से जुड़े हैं, और आप एक जिम्मेदार व्यक्तित्व भी हैं, आपकी एक भ्रामक जनकारी से जनता में भ्रम फैल सकता है जोकि आमजन और जनप्रतिनिधि दोनों के लिए ही हितकर नहीं है।
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