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स्कूल की लापरवाही से गई बच्चे की जान..🛌🛌 और भी स्कूलों के कई बच्चे गंभीर बुखार से पीड़ित..🧑‍🍼🧑‍🍼आखिर प्रशासन मौन क्यों..?🤐🤐

स्कूल की लापरवाही से गई बच्चे की जान..🛌🛌 और भी स्कूलों के कई बच्चे गंभीर बुखार से पीड़ित..🧑‍🍼🧑‍🍼आखिर प्रशासन मौन क्यों..?🤐🤐

कोई धनी धोरी है क्या इस शहर का..??
डेंगू ने पसारे पैर.. डंक मार रहा नौनिहालों को बिना कोई बैर..

चर्चित समाचार एजेंसी।
शिवपुरी 05/11/24..।। आखिर यह क्या हो रहा है किसी को कुछ परवाह है या नहीं स्कूल..? संचालक अभिभावकों से मोटी-मोटी फीस वसूल करते हैं पढ़ाई के नाम पर, एक्टिविटीज के नाम पर, खेल के नाम पर, कंप्यूटर के नाम पर, और अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर पर सच यह है कि स्कूलों में बच्चों के लिए मच्छर से बचाव तक की व्यवस्था नहीं है आराध्य त्रिपाठी उम्र लगभग 12 साल अकेला बच्चा नहीं जिसे डेंगू पॉजीटिव हुआ और उससे इसकी मौत हो गई। दरअसल ऐसे कई बच्चे डेंगू पॉजीटिव पाए गए हैं जो गुरुनानक स्कूल राघवेंद्र नगर में अध्यनरत थे जिनमें बुखार के लक्षण पाए गए थे। 117 मरीजों की लिस्ट में लगभग 27 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें डेंगू पॉजिटिव हुआ है जहां तक हम जानते हैं गुरु नानक स्कूल में आराध्य त्रिपाठी जिसकी कल डेंगू के कारण मौत हो गई इसके अलावा  सूर्यांश शर्मा पुत्र नारायण शर्मा निवासी झांसी रोड चुंगी नाका उम्र लगभग 6 साल इसके अलावा चार से पांच बच्चे और हैं जिनको फीवर आया है। इन बच्चों सहित कई बच्चों ने स्कूल में मच्छरों के काटने की शिकायत दर्ज़ कराई थी यह तो एक स्कूल का हाल है इसके अलावा संस्कार स्कूल गुरुद्वारे के पीछे यहां भी एक बच्ची जिसका नाम सलोनी कुशवाहा है जो कक्षा आठ में पढ़ती है एवं उसकी उम्र 14 साल है इसे भी डेंगू पॉजिटिव हुआ था।  इसके पिता रंजीत कुशवाहा का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है इसकी मां ने जैसे-जैसे करके इस बच्ची का इलाज कराया। 
आज अगर सर्वे किया जाए तो सरकारी रिपोर्ट 27 में से 20 से अधिक बच्चे प्राइवेट स्कूलों के ही पाए जाएंगे। यह तो वह रिपोर्ट है जो स्वास्थ्य विभाग अपने मतानुसार दे रहा है। बहुत सारी रिपोर्ट तो इस तरह के पेंडेमिक में दाब दी जाती हैं।कई सारे बच्चे और बड़े अपने आसपास के डॉक्टर से इलाज कराते रहते हैं और सही भी हो जाते हैं। जो केस बिगड़ जाते हैं यह शासकीय अस्पताल में पहुंचते हैं और उनकी जानकारी मिल जाती है। मेरा सीधा सा सवाल यही है कि पूरे साल आप सर्वे करते हैं लार्वा कहां है मच्छर कहां है गंदगी कहां है उसके बाद भी मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड जैसी बीमारियां होती हैं ।
क्या इसका इंतजाम पहले से नहीं हो सकता..? 
 क्या पूरे साल सर्वे के नाम पर दिखावा किया जाता है..?
 वही बात नगर पालिकाओं से की जाए तो उनके अपने भी कुछ दायित्व हैं,लेकिन दायित्व से बाहर जाकर के काम तो छोड़ो दायित्व में रहकर ही कुछ नहीं कर पा रहे हैं।  39 वार्डों में ऐसा कोई वार्ड नहीं जहां गंदगी न पसरी हो। पर बात यह भी किसी हद तक सही है कि नगर पालिकाओं के पास ना तो कर्मचारी हैं और ना ही कचरा निष्पादन के लिए वाहन हैं। कचरा रोड़ खाली भूखंड नालियों में आ चुका है। 
अब ऐसे गीले और सूखे कचरे के जगह जगह जमा होने पर मच्छर नहीं होंगे तो क्या होगा..? 
 स्वास्थ्य विभाग नगर पालिका एवं शिक्षा विभाग तीनों को कुछ नहीं तो कम से कम नौनिहालों के बारे में तो सूचना चाहिए।
जो न तो बेचारे सह सकते हैं और न ही कह सकते हैं।
अब देखना यह है कि जिले के मुखिया इस गंभीर बीमारी पर कितने गंभीर होते हैं..?
लेखक:-- वीरेन्द्र "चर्चित"
Mob.9977887813

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