नशे के प्रति युवाओं का गर यही रहा रवैया.. तो फिर कौन है इस भावी पीढ़ी के भविष्य का खेबैया..??
दो युवा मौतें बनी जिले वासियों के लिऐ चर्चा का विषय..
किसी ने कहा अटैक है, तो कोई बोला स्मैक का ओवर डोज..!!
"चर्चित की चर्चा" इन दोनों आकस्मिक मौतों के पीछे की वजह जो भी हो.. पर एक बात जो समूचे जिले वासियों के जुबां पर है वह है स्मैक का कहर...☠️☠️
जबकि हमारे जिले का प्रशासन मादक पदार्थों पर नकेल कसने का दावा भी करता है, यह भी सही है कि जिले के मुखिया ने 16 जुलाई को पोहरी विधायक के नशे के खिलाफ़ एक ईनामी वीडियो के एवज में 17 जुलाई को एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से जन प्रतिनिधियों और आम जनता तक एक मैसेज पहुंचाया था जिसमें साफ़ उल्लेख था कि (1जनवरी से 17 जुलाई 23) तक मात्र 90 लाख का मादक पदार्थ पकड़ा गया जबकि (1 जनवरी से 17 जुलाई 24) तक लगभग 5 करोड़ का मादक पदार्थ पकड़ा गया जो अपने आप में हैरत में डालने वाली बात है,पर इससे भी बड़ी हैरानी तब हुई जब प्रेस कॉन्फ्रेंस ठीक बाद मात्र 7 दिनों के भीतर जिले भर के थानों ने 75 लाख से अधिक का मादक पदार्थ को पकड़ना बताया,जिसमें कई आरोपियों से जप्त की गई स्मैक की मात्रा भी ठीक- ठाक ही थी। उसके बाद लगातार लगभग एक माह तक सभी मादक पदार्थों जैसे (कच्ची शराब,बिना ड्यूटी और परमिट की अंग्रेजी शराब, गांजा,और स्मैक) जिसकी कुल कीमत 2 करोड़ तक या ऊपर भी हो सकती है। हालांकि इसमें ऐसे केस भी शामिल हैं जिसमें पकड़ी गई अंग्रेज़ी शराब की कुल पेटी की कीमत 50 हज़ार है और उसको ले जाने वाले वाहन की कीमत 8,50,000 रूपए है,और कुल मशरूका जप्त किया 9 लाख.. ऐसा भी है..!!
परंतु इससे इतर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपना काम किया। लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि.. जब मादक पदार्थों के खिलाफ़ प्रशासन की मुहिम में स्मैक पकड़ी जा रही है तो फिर स्मैक है और लगातार बिक रही है ..? क्योंकि आप लगातार पकड़ रहे हैं। और अगर स्मैक बिक रही है तो फिर आपने किन लोगों को पकड़ा..?
क्या वही लोग दुबारा छूटकर फिर से यही धंधा करने लगे..?
या फिर इनके भी ऊपर बैठे बड़े खिलाड़ी हैं जिनके पास भारत से लगे देशों से शिवपुरी की सीमा से लगे अन्य राज्यों के मार्फत स्मैक की बड़ी खेप खपाने के लिए आती है तथा जिन तक पहुंचने में प्रशासन के हाथ बौने नज़र आते हैं।
हो कुछ भी पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस विषय पर गंभीर मंथन की ज़रूरत है..। क्योंकि यह (स्मैक) जैसा खतरनाक ज़हर केवल घर ही बर्बाद ही नहीं कर रहा वरन पूरी की पूरी पीढ़ी बर्बाद कर रहा है।
मंथन जनप्रतिनिधि को ही क्यों..? आम जनता को भी करना चाहिए..!!
क्या मंच से घोषणा के बाद इस विषय पर सकारात्मक कार्य उस दक्षता के साथ हुआ..?
क्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस ज़हरीले मुद्दे को गंभीर विषय माना..?
क्या जल क्रांति पर आंदोलन वाली जनता को शहर डूबता दिखाई नहीं दे रहा..?
क्या कोई तारणहार आयेगा इस नशे से भावी पीढ़ी को निजात दिलाने..?
और अंत में क्या पोहरी वाले विधायक फिर से कुछ नया करेंगे इस मुद्दे पर..?
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