सेठ जी को इल्म न था कि, ऐसा भी हो जाएगा..👀👀भरी परिसर में होगी दे दनादन तू पिटकर ही घर जायेगा..🤣🤣
शहर के सेठ और वकील के बीच हुई हाथापाई का सांकेतिक अंश कुछ इस तरह...
चर्चित समाचार एजेंसी।शिवपुरी ।। 06-11-24 ।। कल 5 नवंबर को शिवपुरी कोर्ट परिसर में एक बड़ी ही अजीब घटना घटी, जब एक वरिष्ठ वकील ने अपने मुंक्किल पर भरी कोर्ट परिसर में जूतमपैजार कर दी। हालांकि मामले की संगीनता को समझते हुए कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत करवाया। मगर इस आग के धुंए और दोनों पक्षों के दिलों में धधकते शोलों की चर्चा पूरे शहर में सुनाई और दिखाई दे रही है।
दरअसल शहर की नामी गिरामी हस्तियों में से एक जिनका दवाओं का थोक का व्यापार है वह अपने चेक क्लेम से संबंधित कार्य को लेकर कोर्ट में मौजूद थे जहां उन्होंने एक वरिष्ठ वकील को अपने इस काम के लिए हायर किया था । चूंकि सेठ जी का ब्याज पर लेनदेन का कारोबार भी है अतः अक्सर कोर्ट में आना जाना लगा रहता है। अब चूंकि चेक का मामला कुछ समय से वरिष्ठ वकील की देखरेख में चल रहा था,अचानक कुछ ऐसा हुआ कि सेठ जी ने अपने केस को हस्तांतरित करने का मन बना लिया (जैसा कि सेठजी को अपनी आदत अनुसार स्वाद बदलने की इच्छा महसूस रहती है) तो उन्होंने अपने केस को वकील से वापस मांगने की बात कही। जिस पर वकील साहब ने कहा कि आदरणीय इतने लंबे समय से मैं इस केस को देख रहा हूं मेरा वकालतनामा भी लगा है अतः अब मेरी फीस तो बनती है । आप मुझे मेरीे फीस दे दो और अपने केस को जहां मर्जी चाहे वहां ले जाइए।
जिस पर सेठ जी भी खामोश नहीं रहे मौका देखते ही अपनी जिव्या से कुछ ऐसे शब्द कह गए जो वकील साहब को बुरी तरह चुभ गए। उसके बाद वकील साहब अपनी सारी मान मर्यादा भूल कर सिर्फ इतना ही याद कर पाए कि शब्द जो बोले हैं वह मेरे लिए ठीक नहीं हैं। फिर क्या था वकील साहब अपनी गाड़ी से उतरे और फिर दे दनादन दे दनादन दे दनादन दे दनादन चालू हो गए। इसके बाद मामला थाने पहुंचा जहां एक ओर सेठ जी के रिश्तेदार जो राजनीति में प्रत्यक्ष दमदारी रखते हैं और सिंधिया जी के भी खासों में गिने जाते हैं वहीं दूसरी ओर से नामचीन वकीलों का एक गुट जो अपने आप में जिले के लिए एक नजीर है अपनी-अपनी टोली लेकर थाने पहुंच गए। सारे मामले को समझने में हमारे दुबे जी को किंचित मात्र भी समय नहीं लगा because he knows well how to handle the situation when both parties having the power. कुछ समय थाने में हल्की-फुल्की बहस के बाद मामले को चलता कर दिया..
इससे यह सीख मिली कि
तुलसी जिव्ह्या बावरी कहत स्वर्ग पाताल..
खुद कहे भीतर घुसे जूते खात कपाल..
इस पूरे प्रकरण में शहर में चर्चा कि
वकील साहब का कुछ गया नहीं और सेठ जी का कुछ बचा नहीं...
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