सेठ ने कहा यह मेरा प्लॉट मैंने हाई कोर्ट से जीता..💪💪 प्रत्यक्ष दर्शी कह रहे यहां पूर्व में भी नाला था सांठगांठ से खरीदा..🫱🫲🫱🫲..
जब मामला पहुंचा एसडीएम के दहलीज तो यह बने हालात..
चर्चित समाचार एजेंसी।
।। शिवपुरी 7/12/24 ।। जी हां मामला विष्णु मंदिर के ठीक सामने से पुरानी शिवपुरी को जाने वाली रोड के बाएं हाथ के कॉर्नर पर निर्माणाधीन प्लॉट को लेकर के है जहां आज नगर पालिका अध्यक्ष के साथ चार से पांच पार्षद एवम कुछ वरिष्ठ लोगों द्वारा एसडीएम कार्यालय जाकर संबंधित प्लॉट पर जिसका साइज लगभग 3000 स्क्वायर फीट है पर निर्माण कार्य रोके जाने संबंधित आपत्ति दर्ज कराई। इस आपत्ति की मुख्य वजह वहां पर से पूर्व में गुजरा हुआ एक नाला है जिसे शहर में रहने वाले ज्यादातर नागरिकों ने अपनी आंखों से बहता हुआ देखा है और यही नहीं लोगों ने यहां तक दावा किया है कि यह नाला वार्ड नंबर 27 में विष्णु मंदिर के पीछे बने एक तालाब (जिसे वर्तमान में भूमाफियाओं ने खुर्द बुर्द कर बेचकर जिसका आस्तित्व खत्म कर डाला है) और इसी के आसपास बने कुछ लॉजों के पीछे तथा सिद्धेश्वर क्षेत्र में बसी कॉलोनी का कुछ हिस्सा जोकि पूर्व में शासकीय जगह हुआ करती थी पर बनी अवैध कॉलोनी से निकलने वाले पानी का निकासी क्षेत्र था। जो बहता हुआ सीधा बर्फ फैक्ट्री के पास बने नाले में जाकर मिलता था वर्तमान में भू माफिया एवं प्रशासनिक जिम्मेदारों ने सांठ गांठ करके इस छोटे नाले का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है।
एसडीएम ने कागजों को देखने के बाद यह कहा।
जब यह मामला एसडीएम की दहलीज पर पहुंचा तो सबसे पहले नगर पालिका की अध्यक्ष एवं पार्षद ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और बताया कि पूर्व के रिकॉर्ड में यह आज भी नाला है और इस पर हो रहे अतिक्रमण रूपी निर्माण पर रोक लगाई जाकर जांच की जाए।
प्लॉट के मालिक अशीष सेठ (परिवर्तित नाम) ने कहा कि मैंने इसे खरीदा है और नगर पालिका एवं मेरा पूर्व में भी सिविल में एक केस चला था जिसे नगर पालिका हार चुकी है। जिस पर एसडीएम शिवपुरी उमेश चंद्र गौरव ने बताया कि आपने जो दावा किया वह 243/1 है। जिसे आप कोर्ट से जीते हो यह सही हो सकता है पर जिस जगह पर आप निर्माण कार्य कर रहे हैं वह सर्वे के 243/6 बता रहा है। जो बंदोबस्त से पहले का रिकॉर्ड (1972 से पहले का रिकार्ड) ही बता सकता है।
जिसकी सच्चाई का राजस्व एवम नगरपालिका सीएमओ द्वारा दो दिन में जांच कर बता दिया जाएगा तब तक निर्माण कार्य रोका जाए।
नाम न लेने की शर्त पर बताया यह..
इस प्लॉट को बनाने से पहले एक स्थानीय एवं पूर्व में कांग्रेस पार्टी से पार्षद का चुनाव लड़े नेता ने इस जमीन पर खड़े होकर प्रशासन से सांठ गांठ कर आनन फानन में समतलीकरण कराया था। जिसको लेकर तत्कालीन समय पर आपत्ति कर्ताओं का मुंह भर दिया गया था जो इस प्रकरण में शामिल हुए।
यह कहा वरिष्ठ लोगों ने..
वरिष्ठ पत्रकार बृजेश तोमर का कहना है कि हम आज से 15 से 20 साल पहले जब अखबार का बंडल आसपास एवम तहसीलों में भेजते थे, तब बारिश के समय कई मर्तबा यह यह रपटा चढ़ जाया करता था जिस कारण से हम लोग उस समय बंडल रोकते थे तब हमने यह नाला देखा है।
वहीं व्यापारी बदरुद्दीन खान का कहना है कि, हमारे द्वारा कई बार बकरों को लाने ले जाने के लिए इस चढ़ते हुए नाले से गुजरना पड़ता था तो हमने इसे भली भांति देखा है। वहीं आरटीआई एक्टिविस्ट हरवीर सिंह चौहान का स्पष्ट कहना है कि पिछले 40 साल से मैं इस शहर का बदलता स्वरूप लगातार देख रहा हूं। मैंने यह नाला अपनी आंखों से देखा है। इस नाले में बहता हुआ पानी विष्णु मंदिर के पीछे तालाब से आता था और उस तालाब में पानी उससे भी आगे ऊपर की तरफ बने तालाब (जिस पर वहां के एक सेठ ने प्लाट काटकर खुर्दबुर्द कर बेचने के बाद किसी की न्यायिक आपत्ति पर अपना दावा कोर्ट में पेश किया था जिस पर बाद में कोर्ट ने वहां की सभी रजिस्ट्री को शून्य कर दिया था।) वहां से इस तालाब में पानी आया करता था। आज भी शहर में कई ऐसे तालाब और नाले हैं जो अतिक्रामकों ने अपने कब्जे में ले लिए हैं। जिसपर जिला प्रशासन और हमारे प्रतिनिधियों को सख्ती बरतनी चाहिए।
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