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कुटुंब न्यायालय का शानदार फैसला...👌👌..तीन तलाक की याचिका को किया खारिज..❌❌.

कुटुंब न्यायालय का शानदार फैसला...👌👌..तीन तलाक की याचिका को किया खारिज..❌❌.

कुटुंब न्यायालय का शानदार फैसला  तीन तलाक की याचिका को किया खारिज..
मामला देहात थाना क्षेत्र में रह रहे मुस्लिम परिवार पति पत्नी के तलाक का..
 *चर्चित समाचार एजेंसी* 
 *।।शिवपुरी 16-दिसंबर 24।।*
आज कुटुंब न्यायालय द्वारा एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुस्लिम विधि के द्वारा तलाक को शून्य घोषित किया गया।
मोहम्मद नासिर पुत्र मोहम्मद शफी निवासी आईटीआई रोड देहात थाना जिला शिवपुरी का निकाह शबाना बानो पुत्री शाहिद खान निवासी झांसी उत्तर प्रदेश के साथ 15 -06-2012 को  एवज मेहर 100786 के साथ तय हुआ था। इधर शबाना बानो का पूर्व पति एवम नसीर खान की पूर्व पत्नी पहले ही मर चुकीं थीं अतः दोनों का यह दूसरा निकाह था शबाना बानो के पूर्व पति से उसकी दो पुत्रियां भी थीं जिनके पालन- पोषण और पढ़ाई का जिम्मा नसीर खान ने निकाह के वक्त लिया था।
उसके कुछ वर्ष गुजर जाने के बाद जब सब कुछ ठीक था तो मोहम्मद नासिर ने अपनी पत्नी शबाना बानो से उसकी बड़ी लड़की की शादी करने की बात कही जिसे पहले तो शबाना बानो टालती रही पर बाद में उसने उग्र रूप ले लिया और अपने पति नसीर खान से झगड़ा कर  थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज़ करा दी कि नासिर खान मुझे और मेरी पुत्री को परेशान करता है तथा रात के समय रोज मारपीट करता है उन्हें खाना भी नहीं देता । इतना ही नहीं बाद में शबाना द्धारा उसे घर से बाहर भी निकाल दिया गया। जिसके एवज में नासिर खान द्वारा 2020 में अपने अधिवक्ता द्वारा तलाक का एक नोटिस पेश किया जिसका प्रतिवादी शबाना बानो द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया इसी क्रम में दो नोटिस 21 और 23 में भी पेश किए गए। जिसका भी कोई जवाब नहीं दिया गया। बाद में कुटुंब न्यायालय में जाकर तीन तलाक की विधि को मान्य करने का केस दायर किया जिसे कुटुंब न्यायालय ने गंभीरता पूर्वक अध्ययन पश्चात उचित नहीं माना। यहां कुटुंब न्यायालय ने वादी द्वारा प्रतिवादी के लिए मध्यस्थता का मार्ग नहीं अपनाया जोकि पूरी तरह नियम विरुद्ध पाया गया। वहीं बड़ी द्वारा बताया जाना कि प्रतिवादी द्वारा उसे प्रताड़ित किया जाता है एवं घर से बाहर कर दिया गया है। इस बात पर भी प्रतिवादी ने सहमति नहीं जताई साथ ही साथ प्रतिवादी द्वारा कभी भी तलाक लेने की बात को तब्जजो नहीं दी गई। अतः कुटुंब न्यायालय में वादी द्वारा पेश किए गए दावे को उचित न मानते  हुए तलाक की दावा याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया।
 *यह थी खास बात जिसे कुटुम्ब न्यायालय ने वादी के दावे को ख़ारिज करने योग्य माना..* 
दरअसल बड़ी पक्ष मोहम्मद नासिर पुत्र मोहम्मद शफी निवासी आईटीआई रोड थाना देहात जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश द्वारा तलाक की एक याचिका दायर की थी। जिसमें प्रतिवादी शबाना बानो पुत्री शाहिद खान झांसी उत्तर प्रदेश हाल निवास बादशाह किराना स्टोर पुरानी शिवपुरी देहात थाना जिला शिवपुरी था। इस प्रकरण की पैरवी के लिए वादी पक्ष द्वारा एडवोकेट नासिर अली को नियुक्त किया था,वहीं पीड़ित महिला प्रतिवादिया की पैरवी अधिवक्ता पंकज आहूजा द्वारा की गई। जिसमें कुटुंब न्यायालय द्वारा विवेचना के पश्चात वादी की ओर से प्रस्तुत किए गए सभी साक्ष्यों से यह प्रमाणित नहीं हुआ कि उसने प्रतिवादी को तलाक देने से पूर्व मुस्लिम विधि के अनुसार मध्यस्थ के माध्यम से सलाह का प्रयास किया था। जबकि पूरे प्रकरण में स्वयं वादी ने सुलहवार्ता ना होना स्वीकार किया है। वहीं प्रतिवादी को तलाक देने की प्रक्रिया तथा प्रतिवादी की उपस्थिति व स्थान के संबंध में भी वादी तथा दोनों गवाहों के कथनों में गंभीर विरोधाभास पाया गया।
यही वजह रही कि कुटुम्ब न्यायालय ने वादी द्वारा मुस्लिम विधि तथा शरीयत के प्रावधानों का पालन न करने के चलते उक्त तलाक को अवैध तथा अप्रभावी माना। वादी का प्रकरण प्रभावशील न होने से वादी को तलाक की घोषणा की डिग्री प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होना  माना। इस कारण न्यायालय द्वारा महिला प्रतिवादिया के पक्ष में निर्णय पारित किया।

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