मयंक तो चला गया पर सवाल पीछे छोड़ गया..क्या इस अपराध में सिर्फ़ तान्त्रिक ही दोषी शासन और प्रशासन क्यों नहीं..??
गांव गांव में बसे हैं तान्त्रिक और ओझा.. पर क्यों नहीं पहुंचती इन पर सिस्टम की नज़र..?
पढ़िए एक संक्षिप्त रिपोर्ट..
चर्चित समाचार एजेंसी ।
।।शिवपुरी (कोलारस) 20/03/25।।
"चर्चित की चर्चा"
नाम:-मयंक धाकड़..
उम्र:-महज छह माह..
पिता:-आदेश वर्मा..
माता:- राजवती धाकड़..
पता:- गांव खैरोना थाना (सिरसौद)
घटना:-कोलारस तहसील के रामनगर गांव में रहने वाले तांत्रिक रघुवीर धाकड़ के पास बच्चे की बीमारी को लेकर झाड़फूंक कराने गई थी मां राजवती धाकड़...। तभी तांत्रिक ने बच्चे पर बताया मसान...
और धधकती आग के ऊपर उल्टा लटका दिया। जिसके चलते बच्चे का चेहरा एवम आंख की पुतलियां और दिमाग की नस डैमेज हो गई। जिसे शिवपुरी ईलाज उपरांत ग्वालियर रेफर कर दिया गया। ग्वालियर में बच्चे का ईलाज चला मगर 18 मार्च शाम को मयंक की इस अंधविश्वासी दुनियां से रूखसती की ख़बर आई, उसके बाद परिजनों ने गुपचुप तरीके से बच्चे को अपने गांव में जाकर दफना दिया। जिसके बाद कोलारस एसडीएम को इसकी ख़बर लगी जिसपर खैरौना जाकर बच्चे की डेडबॉडी को दुबारा निकलवाया और धाराएं बढ़ाने की बात कही।
पर बात सिर्फ़ इतनी सी है कि हमारा प्रशासन कोई अप्रिय घटना के बाद ही क्यों जागता है..?
क्या प्रशासन के सारे सिस्टम फेल हैं..?
तो क्या ग्रामीण अंचल में काम कर रहे रोजगार सहायक,सचिव, सरपंच,आगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता, आशा कार्यकर्ता,नगर सेवक, महिला बाल विकास की टीम, एनजीओ कार्यकर्ता और भी बहुत कुछ इन सब की फूट जाती हैं..??
तो क्या इस तरह के ढोंगी सिर्फ़ जनता को ही दिखते हैं तुमको नहीं..??
एक विश्वसनीय सूत्रों की माने तो कोलारस,करैरा, नरवर, पिछोर, पोहरी और ख़ुद शिवपुरी तहसील के न सिर्फ़ अंचल बल्कि शहरी क्षेत्र में भी कहीं झोलाछाप डॉक्टर तो कहीं स्वयंभू तान्त्रिक और जानकर भी बने बैठे हैं। जिनकी ख़बर स्वास्थ्य विभाग को भी है और सामान्य प्रशासन तथा पुलिस विभाग को भी है।
फिर भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं..।
क्या जनता के साथ प्रशासन भी इनसे डरते हैं..?
क्या इनकी राजनैतिक पकड़ है..?
या फिर बड़ा वोट बैंक..?
कुछ तो ज़रूर है दया..?
अब आप ही बताओ कि..
क्या हमारा देश विश्व गुरु बनने की राह में इन सबको रोड़ा नहीं मानता..?
तो क्या कायदे से वहां के एसडीएम और एसडीओपी को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए इस कांड में खुद की गलती को स्वीकार कर खुद पर भी आरोप सिद्ध करना चाहिए..??
अब शिवपुरी के डाक्टरों के अभिमत के बाद धाराएं बड़ सकती हैं..।
पर क्या बच्चा वापस आ सकता है..?
पूछता है शिवपुरी..!
एक टिप्पणी भेजें